तालिबान के कब्जे में अफगानिस्तान, अब्दुल गनी बरादर बन सकता है नया राष्ट्रपति

By: Pinki Sun, 15 Aug 2021 11:22:31

तालिबान के कब्जे में अफगानिस्तान, अब्दुल गनी बरादर बन सकता है नया राष्ट्रपति

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और उपराष्ट्रपति अमीरुल्लाह सालेह के देश छोड़ते ही तालिबान लड़ाके काबुल में घुस गए। जिसके बाद तालिबान ने राष्ट्रपति भवन (अर्ग) पर भी कब्जा कर लिया। तालिबान ने यह भी कहा है कि अफगानिस्तान में सत्ता हस्तांतरण के लिए कोई भी अंतरिम सरकार नहीं बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि वे अफगानिस्तान पर पूर्ण नियंत्रण करने जा रहे हैं।

राष्ट्रपति अशरफ गनी के करीबी सूत्रों के मुताबिक वे संभवत: किसी पड़ोसी देश के रास्ते अमेरिका जा रहे हैं। उनके साथ उपराष्ट्रपति सालेह और उनके कुछ बेहद करीबी लोग भी हैं। अफगान रक्षा मंत्री ने बिना नाम लिए इशारों में गनी और सालेह पर तंज कसा। काबुल में पुलिसकर्मी सरेंडर कर रहे हैं। उन्होंने अपने हथियार भी तालिबान को सौंप दिए हैं। काबुल के लोगों ने सुबह जब आंखें खोलीं तो तालिबान दरवाजे पर दस्तक दे रहे थे। दोपहर होते-होते राजधानी पर उनका कब्जा हो गया और कुछ देर बाद राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के देश छोड़ने की खबर आ गई। तालिबान से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मुल्ला बरादर अखंद अंतरिम सरकार के प्रमुख हो सकते हैं।

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के राजनीतिक कार्यालय का प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादर काबुल आ चुका है। ऐसे में माना जा रहा है कि अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान का नया राष्ट्रपति बन सकता है। पहले यह भी कहा जा रहा था कि अमेरिका स्थित अकादमिक और पूर्व अफगान आंतरिक मंत्री अली अहमद जिलाली को अंतरिम प्रशासन का प्रमुख बनाया जा सकता है।

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कौन हैं मुल्ला बरादर

मुल्ला बरादर अभी तालिबान के कतर में दोहा स्थित दफ्तर के राजनीतिक प्रमुख हैं। इस समय वह तालिबान के शांति वार्ता दल का नेता है, जो कतर की राजधानी दोहा में एक राजनीतिक समझौते की कोशिश करने का दिखावा कर रहा है। मुल्ला उमर के सबसे भरोसेमंद कमांडरों में से एक अब्दुल गनी बरादर को 2010 में दक्षिणी पाकिस्तानी शहर कराची में सुरक्षाबलों ने पकड़ लिया था, लेकिन बाद में तालिबान के साथ डील होने के बाद पाकिस्तानी सरकार ने 2018 में उसे रिहा कर दिया था। राष्ट्रपति बनने के लिए कई लोगों के नामों पर विचार किया जा रहा है, लेकिन उनका नाम शीर्ष पर है। वे अफगानिस्तान में तालिबान के को-फाउंडर हैं।

तालिबान शांति से सत्ता हासिल करना चाहता है

इससे पहले अफगानिस्तान के कार्यवाहक गृहमंत्री अब्दुल सत्तार मीरजकवाल ने बताया था कि तालिबान काबुल पर हमला नहीं करने के लिए राजी हो गया है। वो शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता का ट्रांसफर चाहता है और ये इसी तरह होगा। नागरिक अपनी सुरक्षा को लेकर बेफिक्र रहें। तालिबान ने भी बयान जारी करके कहा था कि वो नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी लेता है।

तालिबान ने बताया था कि काबुल में जंग नहीं हो रही है, बल्कि शांति से सत्ता हासिल करने के लिए बातचीत चल रही है। साथ ही कहा है कि काबुल एक बड़ी राजधानी और शहरी इलाका है। तालिबान यहां शांतिपूर्ण तरीके से दाखिल होना चाहता है। वह काबुल के सभी लोगों के जान-माल की सुरक्षा की गारंटी ले रहा है। उसका इरादा किसी से बदला लेने का नहीं है और उन्होंने सभी को माफ कर दिया है। वहीं अफगानिस्तान के सरकारी मीडिया का कहना है कि काबुल के कई इलाकों में गोलीबारी की आवाजें सुनी गई हैं।

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